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Reporting the underreported threat of nuclear weapons and efforts by those striving for a nuclear free world. A project of The Non-Profit International Press Syndicate Japan and its overseas partners in partnership with Soka Gakkai International in consultative status with ECOSOC since 2009.

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The Threat or Use of Nuclear Weapons Violates the Right to Life, Warns a UN Committee – Hindi

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परमाणु हथियारों की धमकी या प्रयोग जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है, संयुक्त राष्ट्र की एक समिति द्वारा चेतावनी

एलिन वेयर द्वारा

लेखक वर्ल्ड फ्यूचर काउंसिल का शांति एवं निशःस्त्रीकरण कार्यक्रम का संयोजक हैपार्लियामेंटेरियन्स फॉर न्यूक्लीअर नॉनप्रोलिफरेशन एंड डिसआर्मामेंट का वैश्विक संयोजक हैऔर आओतेअरोआ लॉयर्स फॉर पीस (Aotearoa Lawyers for Peace) (न्यूज़ीलैण्ड में इंटरनेशनल असोसीएशन ऑफ लॉयर्स अगेंस्ट न्यूक्लीअर आर्म्स से संबद्धका अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि है

जेनीवा (आईडीएन) – जीवन के अधिकार के संबंध में, 30 अक्टूबर, 2018 को अंगीकृत इंटरनेशनल कोवेनेंट ऑन सिविल एंड पोलिटिकल राइट्स (ICCPR) के अनुच्छेद 6 पर संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार समिति की नई टिप्पणी सं. 36 (2018) चेतावनी देते हुए कहती है कि, परमाणु हथियारों की धमकी या उनका प्रयोग “जीवन के अधिकार हेतु सम्मान के परस्पर विरोधी है” और “अंतरराष्ट्रीय क़ानून के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आ सकता है।”

सामान्य टिप्पणी के पैराग्राफ 3 के अनुसार, अनुबंध के अनुच्छेद 6 में कूटबद्ध की गई परिभाषा के अनुसार, जीवन का अधिकार “व्यक्तियों का उन कार्यों एवं चूकों को नहीं करने का अधिकार है जिनका इरादा उनकी अप्राकृतिक या असामयिक मृत्यु करना या जिनके कारण उनकी अप्राकृतिक या असामयिक मृत्यु की अपेक्षा की जा सकती है, इसके साथ-साथ यह उनका सम्मान के साथ जीवन जीने का भी अधिकार है”।

इसके अतिरिक्त, जीवन का अधिकार एक “सर्वोच्च अधिकार है जिसका राष्ट्र के जीवन को खतरा पहुँचा सकने वाले सशस्त्र संघर्षों एवं अन्य सार्वजनिक आपातकालों की स्थिति में भी अनादर करने की अनुमति नहीं है।” यह अधिकार “अन्य सभी मानवाधिकारों को प्राप्त करने हेतु पहली आवश्यकता है।”

सामान्य टिप्पणी (General Comment) 1982 एवं 1984 में समिति के द्वारा अंगीकृत किए गए जीवन के अधिकार के संबंध में पूर्व की टिप्पणियों का स्थान ले रही है। (देखें UN Human Rights Committee concludes that the threat or use of nuclear weapons violates the Right to Life)।

मानवाधिकार समिति ने फुटनोट 273 में परमाणु हथियार निषेध संधि (TPNW, Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons) – के साथ-साथ अप्रसार संधि (NPT, Non-Proliferation Treaty), व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि (CTBT, Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty), रासायनिक हथियार समझौते और जैविक हथियार समझौते – को बड़े पैमाने पर जन-जीवन की हानि करने वाले हथियारों (WMD, weapons of mass destruction) के अप्रसार एवं निश:स्त्रीकरण से संबंधित दायित्वों हेतु योगदान करने वाली महत्वपूर्ण संधियों के रूप में संदर्भित किया है।

समिति ने, इसकी पुष्टि करने के लिए परमाणु शक्तियाँ “सख्त एवं प्रभावी अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण के अंतर्गत परमाणु निश:स्त्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु सद्भाव के साथ बातचीत जारी रखने हेतु अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का सम्मान करें, 1996 अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की सलाहकार समिति के मत का संदर्भ दिया है। इससे परमाणु निश:स्त्रीकरण के दायित्व की व्यावहारिक प्रकृति को मजबूती प्राप्त होगी, अर्थात चाहे कोई देश NPT या TPNW में एक पक्ष हो या नहीं इसे अमल में लाया जाएगा।

और समिति ने इस बारे में दृढ़तापूर्वकक कहा है कि “अंतरराष्ट्रीय उत्तरदायित्व के सिद्धांतों के अनुसार, बड़े पैमाने पर जन-जीवन की हानि करने वाले हथियारों के परिक्षण या प्रयोग के कारण जिन पीड़ितों का जीवन का अधिकार प्रतिकूल ढंग से प्रभावित हो रहा है या किया जा रहा है उनकी पर्याप्त हानिपूर्ती का वहन” करना ICCPR के सदस्य देशों का दायित्व है।

मानवाधिकार समिति ने शांति एवं स्वतंत्रता हेतु महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय संघ (Women’s International League for Peace and Freedom) के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि सामान्य टिप्पणी हेतु यह आवश्यक है कि “परमाणु हथियार निषेध संधि का [ICCPR केसदस्य देशों के द्वारा समर्थन किया जाए।” नाही इसने उन देशों का अन्य संबंधित संधियों (NPT, CTBT) से जुड़ने के लिए आवाहन किया जो इनमें पक्षकार नहीं हैं। इसमे समिति ने इस सामान्य समझ को दर्शाया कि देश अपनी इच्छा के अनुसार, जुड़ने या बाहर रहने के लिए स्वतंत्र होने चाहिएं।

हालांकि, TPNW के मुख्य तत्वों को दर्शाते हुए, सामान्य टिप्पणी परमाणु सशस्त्र और मित्र देशों, जिनमें से कोई भी TPNW से नहीं जुड़ा है या ऐसी संभावना है की निकट भविष्य में वे इससे जुड़ सकते हैं, से इन तत्वों का किस प्रकार पालन करवाया जाए इसका एक उदाहरण पेश करती है।

सरकारों, शैक्षणिक समुदायों और गैर-सरकारी संगठनों की अत्यधिक रूचि के कारण – तथा इस तथ्य के कारण कि इसमें, गर्भपात, आत्म-हत्या हेतु सहायता करने, सामान्य हथियार, हिंसा से लिंग आधारित अल्पसंख्यकों की रक्षा, शरण-स्थल, मृत्यु दंड, बड़े पैमाने पर जन-जीवन की हानि करने वाले हथियार और हानिपूर्ती हेतु उत्तरदायित्व सहित, कई विवादास्पद मुद्दों पर टिप्पणियाँ की गई थीं, सामान्य टिप्पणी का आलेखन एवं अंगीकरण करने में तीन वर्ष लगे, शुरुआत में अपेक्षित समय से एक वर्ष अधिक।

इस प्रक्रिया में शामिल कुछ गैर-सरकारी संगठन, विशिष्ट रूप से परमाणु हथियारों के विरुद्ध अधिवक्ताओं का अंतरराष्ट्रीय संघ (IALANA, International Association of Lawyers Against Nuclear Arms) और इससे संबद्ध स्विट्ज़रलैंड से परमाणु निश:स्त्रीकरण हेतु स्विस अधिवक्ता (SAFNA, Swiss Lawyers for Nuclear Disarmament) संघ, बड़े पैमाने पर जन-जीवन की हानि करने वाले परमाणु हथियारों एवं अन्य हथियारों पर विचार-विमर्शों में विशिष्ट रूप से संलग्न थे।

मानवाधिकार समिति के समक्ष पेश की गई प्रस्तुतियों एवं पेश किए गए वक्तव्यों में, IALANA और SAFNA ने तर्क प्रस्तुत किया है की सामान्य टिप्पणी को:

  • परमाणु हथियारों और अन्य WMD का प्रयोग और का प्रयोग करने की धमकी दोनों की निंदा करनी चाहिए, क्योंकि वे जीवन के अधिकार के परस्पर-विरोधी हैं;
  • NPT के अनुच्छेद VI और व्यवहारिक अंतरराष्ट्रीय विधान के अनुसार, पूर्ण परमाणु निश:स्त्रीकरण प्राप्त करने हेतु दायित्व के बारे में दृढ़तापूर्वक कहना चाहिए;
  • यद्यपि TPNW नुकसान पहुँचाने वाले देशों के उत्तरदायित्व के बजाय जिन सदस्य देशों में पीड़ित रहते हैं उनके द्वारा पीड़ित को सहयोग प्रदान किए जाने पर अधिक ध्यान केन्द्रित करता है – क्लस्टर म्यूनिशन्ज़ कन्वेंशन, लैंडमाइंस संधि और परमाणु हथियार निषेध संधि सहित विभिन्न संधियों में ऐसे पीड़ितों के अधिकारों की पहचान में होती हुई वृद्धि के अनुरूप, परीक्षण या WMD के प्रयोग के पीड़ितों को पर्याप्त हानिपूर्ति प्रदान करने के दायित्व का वहन करने को शामिल करना चाहिए।

2018 की सामान्य टिप्पणी में इन तीन तत्वों को शामिल करना दर्शाता है कि 1984 की सामान्य टिप्पणी से आगे की और एक बड़ा कदम बढ़ाया गया है जिसमे दृढ़तापूर्वक कहा गया था कि “परमाणु हथियारों के उत्पादन, परीक्षण, आधिपत्य, तैनाती और प्रयोग को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और इनको मानवता के विरुद्ध अपराधों के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।”

डॉ. जॉन बर्रोज़, निदेशक, परमाणु हथियारों के विरुद्ध अधिवक्ताओं के अंतरराष्ट्रीय संघ, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, कहते हैं कि “उस समय पर प्रकाश डालें, तो 1984 की सामान्य टिप्पणी परमाणु हथियारों के द्वारा खड़े किए गए अविश्वसनीय खतरों को पहचानने और समाप्त करने का आवाहन था।”

वे आगे कहते हैं कि, “इसके विपरीत, 1984 के बाद से कानूनी सुधारों के आधार पर निर्मित, 2018 की सामान्य टिप्पणी एक गंभीर कानूनी आंकलन है, जो इस सुस्पष्ट वक्तव्य से शुरू होती है कि परमाणु हथियारों की धमकी या प्रयोग जीवन के अधिकार के परस्पर विरोधी हैं।”

परमाणु हथियारों के संबंध में परमाणु-हथियार संपन्न देशों के वक्तव्य संकेत करते हैं कि इसकी संभावना सबसे अधिक है कि वे नई टिप्पणी में स्पष्ट किए गए परमाणु-हथियारों से संबंधित दायित्वों को अस्वीकार करना, या उनके क्रियान्वयन को अवरुद्ध करना जारी रखेंगे। इसके बावजूद, नई सामान्य टिप्पणी परमाणु निश:स्त्रीकरण हेतु कम से कम पाँच बहुत महत्वपूर्ण योगदान करती है:

सर्वप्रथम, सामान्य टिप्पणी (General Comment) मानवाधिकारों और परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करने व निश:स्त्रीकरण के दायित्वों के बीच ठोस संबंध स्थापित करती है।

इसके बाद, डॉ. डेनियल राईटिकर, परमाणु निश:स्त्रीकरण हेतु स्विट्ज़रलैंड के अधिवक्ताओं के संघ के अध्यक्ष, मानवाधिकार समिति, कहते हैं: “नागरिक समाज (सिविल सोसाइटी) को परमाणु हथियारों के विरुद्ध अपने प्रयासों में हथियारों के नियंत्रण और मानवाधिकारों के बीच के सेतु का उपयोग अब मानवाधिकार समिति और मानवाधिकारों के संबंध में कार्य कर रही संयुक्त राष्ट्र की अन्य संस्थाओं, मुख्यतया विशिष्ट रूप से परमाणु हथियारों से असुरक्षित महिलाओं, बच्चों या स्वदेशी लोगों के अधिकारों के संबंध में कार्य कर रही संस्थाओं के समक्ष करना चाहिए।” (अधिक जानकारी एवं विश्लेषण हेतु डेनियल राईटिकर के लेख ‘Threat and use of nuclear weapons contrary to right to life, says UN Human Rights Committee’ को देखें)

दूसरे, सामान्य टिप्पणी NPT, UN के प्रस्तावों और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुच्छेद VI पर आधारित परमाणु हथियार संपन्न देशों और मित्र देशों के दायित्वों पर प्रकाश डालती है।

तीसरे, सामान्य टिप्पणी उन संबंधित संधियों में प्रगामी परमाणु निश:स्त्रीकरण और प्रयोग नहीं करने के दायित्वों को शामिल करके जिसके कम से कम कुछ परमाणु हथियार संपन्न देश और उनके मित्र देश पहले से ही पक्ष हैं प्रगामी परमाणु निश:स्त्रीकरण और प्रयोग नहीं करने के दायित्वों के प्रति एक दृष्टिकोण प्रदर्शित करती है। अंतरराष्ट्रीय दंड न्यायालय से संबंधित रोम अधिनियम एक ऐसी संधि है जिसमे इस दृष्टिकोण का प्रयोग किया जा रहा है।

चौथे, “बड़े पैमाने पर जन-जीवन की हानि करने वाले हथियारों के परीक्षण या प्रयोग के कारण जिन पीड़ितों का जीवन का अधिकार प्रतिकूल ढंग से प्रभावित हो रहा है या किया जा रहा है उनकी पर्याप्त हानिपूर्ती का वहन” करने के दायित्व के बारे में दृढ़तापूर्वक कहकर सामान्य टिप्पणी WMD और पीड़ित को सहयोग देने से संबंधित मानवीय कार्यवाहियों को समर्थन प्रदान करती है। ये पहलु परमाणु हथियार निषेध संधि के अनुच्छेद 6 में प्रबलता के साथ प्रस्तुत किए गए हैं, किन्तु ये NPT, रासायनिक हथियार समझौते, CTBT और जैविक हथियार समझौते में अनुपस्थित हैं।

पाँचवे, सामान्य टिप्पणी (General Comment) वर्तमान परमाणु हथियार नियंत्रण और निश:स्त्रीकरण अनुबंधों के तत्वों के क्रियान्वयन को अतिरिक्त बल प्रदान करते हुए उन्हें समानांतर लाती है तथा बढ़ावा देती है। [IDN-InDepthNews – 27 नवंबर 2018]

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