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New Zealand Robustly Defends Nuclear Ban – Hindi

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न्यूजीलैंड परमाणु प्रतिबंध का दृढ़तापूर्वक समर्थन करता है

नीना भंडारी

सिडनी (आईडीएन) – छोटे प्रशांत द्वीपीय देश न्यूजीलैंड ने अंतरराष्ट्रीय निरस्त्रीकरण की बहस में अपना प्रभाव डाला है। लगभग तीन दशकों से इसने एक सक्रिय परमाणु मुक्त नीति अपनाई है जिसके तहत एंजस संधि का हिस्सा होने के बावजूद इसने अपने बंदरगाहों में परमाणु हथियार ले जाने वाले या परमाणु ऊर्जा चालित अमेरिकी युद्धपोतों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और ऑस्ट्रेलिया के साथ न्यूजीलैंड एंजस संधि की तीन मूल हस्ताक्षरकर्ता सरकारों में से एक था; एंजस संधि सुरक्षा व्यवस्था और सहयोग के लिए एक त्रिपक्षीय संरचना है जो 1951 में संपन्न हुई थी।

1960 के दशक के मध्य से लेकर 1980 के दशक के मध्य तक न्यूजीलैंड ने प्रशांत क्षेत्र में फ्रांसीसी परमाणु परीक्षणों का विरोध किया था। 1983 में परमाणु शक्ति चालित युद्धपोत यूएसएस टेक्सास के आगमन के विरोध में काफी प्रदर्शन हुए थे। आम लोगों ने एक परमाणु विरोधी आंदोलन को जन्म दिया जो 1980 के दशक के मध्य में अपने चरम पर पहुंच गया और एक राष्ट्र के रूप में न्यूजीलैंड की पहचान स्थापित की और उसकी विदेश नीति को आकार दिया।

“यह एक अत्यंत व्यापक अभियान था जिसमें पेशेवर, पड़ोस के समूह, छात्र, धार्मिक, गैर-धार्मिक, जवान और बूढ़े सभी शामिल थे। कई मायनों में यह आंदोलन की विविधता और अवर्गीकृत प्रकृति ही थी जो इसके आकर्षण और ताकत का हिस्सा बनी। ‘शांति, शक्ति और राजनीति: न्यूजीलैंड परमाणु मुक्त कैसे बन गया’ की लेखिका मैरी लीडबीटर का कहना है, ‘एक समय देश भर में 300 से अधिक स्थानीय कार्यकर्ता समूह मौजूद थे”।

निर्णायक पल जुलाई 1985 में ग्रीनपीस के प्रमुख युद्धपोत, रेनबो वॉरियर के डूबने के साथ आया जो फ्रांसीसी परमाणु परीक्षण के प्रति विरोध प्रदर्शनों में शामिल था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड लैंग ने कहा: “केवल एक ही चीज है जो परमाणु हथियारों द्वारा हमला किए जाने से अधिक खतरनाक है और वह है उनके द्वारा संरक्षित किया जाना।” 1987 में लेबर पार्टी की सरकार ने न्यूजीलैंड परमाणु मुक्त क्षेत्र, निरस्त्रीकरण और शस्त्र नियंत्रण अधिनियम पारित किया।

“यह कानून अब न्यूजीलैंड के मानस में इतनी अच्छी तरह से घर कर गया है कि कोई भी पार्टी भविष्य में इसे हटाने का प्रस्ताव नहीं करेगी। निरस्त्रीकरण और शस्त्र नियंत्रण पर न्यूजीलैंड लेबर पार्टी के पूर्व प्रवक्ता मार्यन स्ट्रीट ने आईडीएन को बताया, “नेशनल पार्टी (वर्तमान सरकार की अग्रणी) ने अब स्पष्ट रूप से कहा है कि वह उस कानून को निरस्त नहीं करेगी।”

वैश्विक मामलों की जिम्मेदारी निभाने वाले ग्रीन पार्टी के सांसद, कैनेडी ग्राहम भी इससे सहमत हैं। “न्यूजीलैंड के परमाणु मुक्त क्षेत्र कानून के लिए अब बहुदलीय समर्थन है।”

अमेरिकी सरकार ने न्यूजीलैंड के परमाणु प्रतिबंध को पलटने का प्रयास नहीं किया है लेकिन पिछले पांच वर्षों में इसने फिर से न्यूजीलैंड के साथ रक्षा और सामरिक संबंध स्थापित करना शुरू कर दिया है। नवंबर 2010 में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और न्यूजीलैंड के तत्कालीन विदेश मंत्री मरे मैक्कली ने वेलिंगटन घोषणा पर हस्ताक्षर किया था जिससे दोनों देशों के बीच एक नई सामरिक भागीदारी की संरचना तय की गयी।

जून 2012 में वाशिंगटन घोषणा ने रक्षा सहयोग की व्यवस्थाओं को आगे बढ़ाया जिसमें समुद्री सुरक्षा, परमाणु प्रसार विरोधी, आतंकवाद-विरोधी और पाइरेसी-विरोधी व्यवस्थाओं को शामिल किया गया। इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड दुनिया के सबसे बड़े समुद्री अभ्यास, रिम्पैक (प्रशांत क्षेत्र की रिम) और अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया के सैन्य बलों के साथ संयुक्त अभ्यासों में शामिल होने के लिए सहमत हुआ।

लेखक और शोधकर्ता, निक मैक्लेनन यह चेतावनी देते हैं: “हमें सावधान रहना चाहिए और न्यूजीलैंड की स्थिति को बहुत अधिक महिमामंडित नहीं करना चाहिए क्योंकि यह बदल रहा है। विकीलीक्स और एड्वर्ड स्नोडेन के हाल के खुलासों ने एंजस के मित्र देशों और पांच पार्टियों वाले ब्रिटेन-अमेरिका समझौते के बीच संलग्नता के स्तर को उजागर किया है। पांच पार्टियों के समझौते को ‘पांच आंखों की संधि’ के रूप में भी जाना जाता है जिसके तहत ब्रिटेन, कनाडा और एंजस के मित्र देश खुफिया संकेतों को साझा करते हैं।”

न्यूजीलैंड के पास टैंगीमोआना और वाइहोपाई में खुफिया संकेतों के दो केंद्र हैं। लीडबीटर कहते हैं, “मैंने ब्रिटेन-अमेरिका समझौते में पारदर्शिता की कमी तथा अन्य देशों पर जासूसी करने और यहां तक कि युद्ध में योगदान करने के लिए हमें पार्टी बनाने की इसकी संभावना के कारण इसमें न्यूजीलैंड की भागीदारी का विरोध किया था।”

इसके अलावा एंजस के मित्र देश एक पर्यवेक्षक के रूप में फ्रांस के साथ चतुर्मुखी रक्षा समन्वय समूह का भी हिस्सा हैं। तो क्या यह परमाणु छतरी में शामिल होने के लिए न्यूजीलैंड पर नए सिरे से अमेरिका का दबाव है?

आईडीएन ने बताया, “अमेरिका समझता है कि हमारा परमाणु कानून एक गतिरोध का क्षेत्र है और वह इसके आसपास हमारे साथ काम करता है। वह हमें परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण के विषय पर क्षेत्र में एक अग्रणी के रूप में देखता है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हमें परमाणु हथियारों के आतंकवादियों के हाथों में पड़ने के खतरे के विषय पर सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था,” यह कहना है स्ट्रीट का जो परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण के लिए न्यूजीलैंड के सांसदों के पूर्व अध्यक्ष भी हैं।

न्यूजीलैंड की साफ-सुथरी छवि जिसे पर्यटन न्यूजीलैंड अभियान द्वारा 100% शुद्ध के रूप में प्रचारित किया गया है, आंशिक रूप से इसका संबंध देश के परमाणु मुक्त होने के साथ भी है। इसके पास परमाणु शक्ति नहीं है, इसलिए स्थानीय दुर्घटनाएं घटित होने की संभावना ना के बराबर है।

लेकिन स्ट्रीट यह चेतावनी भी देते हैं: “सबसे अधिक असली खतरा हमारे समुद्र के माध्यम से परमाणु कचरे का परिवहन होगा (जैसे: प्रयुक्त यूरेनियम, ऑस्ट्रेलिया के यलो केक आदि)। इसकी संभावना के विरूद्ध कोई सुरक्षा नहीं है और इसलिए हम उनमें से किसी भी जहाज के साथ होने वाली दुर्घटना की चपेट में होंगे। इसके विरुद्ध संरक्षण के लिए खतरनाक वस्तुओं और पदार्थों से संबंधित नए कानून की आवश्यकता होगी।”

न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया की प्रत्यक्ष तुलना में परमाणु हथियारों के मानवीय परिणामों को उजागर करने बहुत सक्रिय रहा है। अक्टूबर 2014 तक 155 देशों ने परमाणु हथियारों के मानवीय परिणामों पर न्यूजीलैंड के नेतृत्व वाले संयुक्त राष्ट्र के बयान पर हस्ताक्षर कर दिया था।

न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री, सर ज्योफ्री पामर ने नवंबर 2014 में “परमाणु दुःस्वप्न” शीर्षक एक आलेख में लिखा था, “संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच न्यूजीलैंड की पहल के लिए व्यापक समर्थन को देखते हुए मुझे ऐसा लगता है कि यह अंतरराष्ट्रीय समझौते के माध्यम से परमाणु हथियारों की अवैधता को मज़बूत करने का सही समय है। अब न्यूजीलैंड सुरक्षा परिषद में शामिल है और मुझे उम्मीद है कि हम दृढ़ता से पैडल पर अपने पांव रखेंगे और परमाणु निरस्त्रीकरण के अभिप्राय पर मजबूती से आगे बढ़ेंगे।”

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने 1996 में परमाणु हथियारों पर अपनी सलाहकार राय में कहा था: “परमाणु हथियारों की विनाशकारी शक्ति को स्थान या समय में सीमित नहीं किया जा सकता है। इनमें पृथ्वी की पूरी सभ्यता और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने की क्षमता है।”

आज न्यूजीलैंड में परमाणु विरोधी आंदोलन बहुत सक्रिय नहीं है लेकिन वहां ऐसे लोगों का एक मजबूत छोटा सा कोर ग्रुप मौजूद है जो वैश्विक परमाणु विरोधी गतिविधियों में सक्रिय हैं।

केट डेविस जो एक परमाणु उन्मूलन कार्यकर्ता हैं जिन्होंने तीन दशकों से अधिक समय से इस लड़ाई को आगे बढ़ाने का काम किया है, आईडीएन को बताया, “राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों स्तरों पर कुछ ऐसे समूह हैं जिनके पास सरकार द्वारा नियुक्त निरस्त्रीकरण और शस्त्र नियंत्रण पर लोक सलाहकार समिति (पीएससीडीएसी) के सदस्य हैं जो यह सलाह देते हैं कि न्यूजीलैंड निरस्त्रीकरण और शस्त्र नियंत्रण अधिनियम, 1987 को लागू करने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए। कुछ समूह निरस्त्रीकरण के राजदूत और मंत्रालय के अधिकारियों से नियमित रूप से मिलते रहते हैं जो उनको परमाणु उन्मूलन, बारूदी सुरंगों, क्लस्टर और प्रयुक्त यूरेनियम हथियारों पर प्रतिबंध लगाने जैसे निरस्त्रीकरण के वर्तमान मुद्दों तथा शस्त्र व्यापार संधि पर नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

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